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Tuesday 6 June 2017
Thursday 16 February 2017
बस्तर का इतिहास
छिन्दकनागवंश (1023-1324)
राजधानी-चक्रकोट
संस्थापक--नृपतिभूषण
प्रमुख शासक--
1) नृपतिभूषण--ऐर्राकोट अभिलेख से जानकारी प्राप्त होती है
2) धारावर्ष --बारसूर में तालाब व शिवमंदिर बनवाया ।
4) मधुरांतक देव -- नरबली का प्रमाण मिलता है ।
5) सोमेश्वर देव--जाजल्लयदेव प्रथम से हरा।
6) सोमेश्वर देव दुवितीय-
7) जगदेव भूषण
8) हरीशचंद्र देव--अंतिम शासक
नोट:--1) छिन्दक नागवंशियों ने मामा भांचा मंदिर बनवाये।
2) ये कलचुरियों के समकालीन थे।
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काकतीय वंश(1324-1961)
संस्थापक--अन्न्मदेव
राजधानी--मंघोता
प्रमुख शासक
1) अन्न्मदेव (1324-1369)
● दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण कराया।
● चक्रकोट से राजधानी मंघोता ले आया।
2) हम्मीरदेव (1369-1410)
3) भैरवदेव (1410-1468)
4) पुरुषोत्तम देव (1468-1534)
● मंघोता से राजधानी बस्तर लाया।
● बस्तर का दशहरा,गोंचा पर्व,बस्तर की रथ
यात्रा प्रारंभ करवाया।
5) प्रतापराज देव (1602-1625)
● बस्तर की सेना से गोलकुंडा के कुलिकुतुब
शाह पराजित हुआ।
6) जगदीशराज देव
7) वीरसिंह देव
● राजपुर का दुर्ग बनवाया
8) राजपाल देव
9) चंदेल मामा
10) दलपतदेव (1331-1374)
● 1770 राजधानी बस्तर से जगदलपुर
परिवर्तन किया ।
● इसके शासनकाल में रतनपुर भोसलों के अधीन
आया।
11) अजमेर सिंह(1774-77)
● क्रांति का मसिंहा।
12) दरियाव देव (1777-1800)
● 1777 के युद्ध में अजमेर सिंह के विरुद्ध
षडयंत्र कर मराठो की सहायता की
● 6 अप्रेल 1778 दरियाव देव ने कोटपाल
की संधि की ,परिणामस्वरूप बस्तर नागपुर
रियासत के अंतर्गत रतनपुर के अधीन आ
गया।
● बस्तर छत्तीसगढ़ का अंग बना।
● 1795 में भोपालपट्टनम संघर्ष हुआ।
13) महिपाल देव(1800-1842)
●
कवर्धा के फणिनागवंश
संस्थापक--अहिराज
प्रमुख शासक:-- 1) गोपाल देव--1089 ई. भोरमदेव
मंदिर का निर्माण करवाया।
● इस मंदिर को छत्तीसगढ़ का खजुराहो कहा जाता है।
● यह मंदिर नागरशैली मै निर्मित है।
2) रामचंद्रदेव--1349 में मड़वा महल का निर्माण
करवाया।
● शिव का मंदिर स्थित है।
●विवाह का प्रतीक के साथ साथ दूल्हादेव भी कहा
जाता है।
3) मोनिंग देव--
Sunday 12 February 2017
मध्यकालीन इतिहास
1) कल्चुरी वंश ( रतनपुर और रायपुर शाखा)
2) फणि नागवंश (कार्वधा)
3)सोम वंश (कांकेर)
4)छिन्दकनागवंश (बस्तर)
5) काकतीय वंश (बस्तर)
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कल्चुरी वंश (1000-1741)
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संस्थापक- कलिंगराज
प्रमुख शासक-----
1)कलिंगराज (1000-1020)
राजधानी-तुम्माण
चौतुरगढ़ के महामाया मंदिर का निर्माण कराया ।
2) कमलराज (1020-1045)
3) रत्नदेव (1045-1065)
●1050 में रतनपुर शहर बसाया व उसे राजधानी बनाया।
● महामाया मंदिर का निर्माण करवाया।
● रतनपुर में अनेक मंदिर व तालाब का निर्माण करवाया ।
● रतनपुर को कुबेरपुर भी कहा जाता है।
4)पृथ्वीदेव प्रथम
उपाधि-सकलकोशलाधिपति
●तुम्माण का पृथ्वीदेवेश्वर मंदिर का निर्माण
●रतनपुर का विशाल तालाब
●तुम्माण में बँकेश्वर मंदिर में स्थित मंडप का निर्माण करवाया।
5) जाजल्लदेव (1095-1120)
● गजशार्दूल की उपाधि धारण किया अपने सिक्के में अंकित कराया ।
● जांजगीर शहर बसाया।
● पाली के शिव मंदिर का जिर्णोधार करवाया ।
● जगतपाल इसका सेनापति था ।
● छिन्दक नागवंशी शासक सोमेश्वर को हराया ।
6) रत्नदेव द्वतीय (1120-1135)
● अनन्तवर्मन चोड्गंग (पूरी के मंदिर का निर्माण करवाया था) को शिवरीनारायण के समीप युद्ध में हराया।
7) जाजल्लदेव द्वतीय(1165-1168)
8) जगतदेव (1168-1178)
9) रत्नदेव तृतीय (1178-1198 )
10) प्रतापमल्ल ( 1198-1222 )
● कलचुरियों का अंधकार युग कहलाता है।
11) बहरेंद्र साय (1480-1525 )
●कोसगई माता का मंदिर बनवाया ।
12) कल्याण साय (1544-1581 )
●अकबर का समकालिक था ।
● जमाबंदी प्रणाली शुरू किया । इसी के तर्ज पर कैप्टन चिस्म ने छत्तीसगढ़ को 36 गढ़ो में विभाजित किया ।
13) लक्ष्मण साय
14) तखतसिंह
●तखतपुर शहर बसाया था ।
15) राजसिंह
● गोपाल सिंह (कवी) राज दरबार में रहता था।
रचना--खूब तमाशा
16) सरदार सिंह
17) रघुनाथ सिंह
● अंतिम कल्चुरी शासक
● 1741 में भोसले सेनापति भास्करपंत आक्रमण कर छत्तीसगढ़ में कलचुरियो की शाखा समाप्त किया ।
17) मोहन सिंह
● मराठों के अधीन अंतिम शासक
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कलचुरियो की लाहौरी शाखा
● राजधानी-- खलबाटिका (खल्लारी)
● संस्थापक--केशव देव
● प्रमुख शासक:--
● रामचंद्र देव -रायपुर शहर बसाया ।
● ब्रम्हदेव-- 1409 में रायपुर को राजधानी बनाया।
● रायपुर में दूधाधारी मठ बनवाया।
● 1415 में देवपाल नामक मोची ने खल्लारी माता का मंदिर का निर्माण किया।
● अन्य शासक-- लक्ष्मीदेव
सिंघण देव
अंतिम शासक--अमरसिंह--1750 में मराठों ने हराया।
Saturday 11 February 2017
शरभपुरीय वंश,पाण्डुवंश,सोमवंश,बाण वंश,पर्वत द्वारक वंश
शरभपुरीय वंश
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राजधानी--शरभपुर (वर्तमान संबलपुर)
उप राजधानी--श्रीपुर(सिरपुर)
संस्थापक--शरभराज
● प्रमुख शासक :--
1) नरेंद्र -
2) प्रसन्नमात्र --सर्वाधिक प्रतापी राजा
● निडिला नदी (लीलागर) के किनारे
● प्रसन्नपुर (मल्हार) की स्थापना किया।
● विष्णु भक्त था
● गरुण, शंख ,चक्र आदि सिक्के चलाये
3) प्रवर राज --सिरपुर को राजधानी बनाया।
4) सुदेव राज--
5) प्रवर राज-2--इंद्रबल ने प्रवर राज-2 को मारकर
पाण्डुवंश की नींव डाली
नोट :-- 1) ताम्र पत्र आरंग व मल्हार से मिले।
2) इस वंश के शासक वैष्णव धर्म के उपासक
थे ।
3) इस वंश ताम्र पत्रो व सिक्को में "गजलक्ष्मी"
के चित्र उत्कीर्ण थे।
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सिरपुर के पाण्डुवंश या सोमवंश
राजधानी--श्रीपुर (सिरपुर)
● इस वंश की दो शाखा थी
1) मैकल श्रेणी वालो को पाण्डु वंश कहा गया।
2) दक्षिण कोशल वालो को सोम वंश कहा गया।
● प्रसिद्ध शासक
1) उदयन -आदिपुरुष कहा जाता है ।
2) इन्द्रबल --पाण्डुवंश की स्थापना की।
3) नन् राज प्रथम
4) महाशिव तीवरदेव-- उपाधी-सकलकोशलाधिपति
- पाण्डुवंश का उत्कर्ष कल
5) ननदेव -2--- उपाधि-कोशलमंडलाधिपति
ताम्रपत्र -अंढ़भार (जांजगीर) से प्राप्त हुआ।
6) चंद्रगुप्त
7) हर्षगुप्त---
विवाह--मगध के मौखरी राजा सूर्यवर्मा की पुत्री
वासटा देवी से हुआ।
● हर्षगुप्त की मृत्यु के बाद उसकी स्मृति मे
वासटा देवी ने (600 ई.) में सिरपुर के लक्ष्मण
मंदिर का निर्माण पारम्भ करायी ।
● पुत्र --महाशिवगुप्त बालार्जुन
8) महाशिवगुप्त बालार्जुन (595-655 ई.)--
राजधानी- सिरपुर
● इसका शासन काल छत्तीसगढ़ इतिहास का स्वर्ण
काल कहा जाता है
● ह्वेनसांग 639 ईसा को छत्तीसगढ़ की यात्रा की और अपनी रचना सी-यु-की में छत्तीसगढ़ को किया-सलो नाम से वर्णन मिलता है।
● सिरपुर के लक्ष्मण मंदिर का निमार्ण कार्य पूरा किया।
● शैव धर्म का उपासक था।
● महाशिवगुप्त बालार्जुन ,हर्षवर्धन ,पुलकेशिन-2 तथा नरसिंहवर्मन का समकालिक था।
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मैकल के पाण्डु वंश
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राजधानी-अमरकंटक
शासक--1) जयबल 2) वत्सबल 3) नागबल
4) भरतबल 5) शुरबल
नोट :--कलचुरियों से संघर्ष करने वाला प्रथम वंश ।
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उड़ीसा के सोम वंश (संस्थापक -शिवगुप्त)
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शासक--महाभवगुप्त जन्मजेय
अंतिम शासक -- उदयोग केसरी
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बाण वंश
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राजधानी--पाली ( कोरबा )
संस्थापक--महामंडलेश्वर मल्ल देव
इसने पाली के शिव मंदिर का निर्माण करवाया,
पाली में काल्पनिक पशु का चित्र है जिसका शरीर सिंह
तथा सर अन्य जीव का है ।
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पर्वतद्वारक वंश
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शासक-- 1) सोमन्नराज 2) तुष्टिकर
क्षेत्र--देवभोग रायपुर क्षेत्र
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नल वंश
नल वंश (5वीं-7वीं शताब्दी)
◆ राजधानी - कोरापुट(उड़ीसा)
◆ बस्तर क्षेत्र में नालवंशियों का शासन रहा। इस में क्रमशः शासन---
1)शिशुक (290-330 ई.)-- संस्थापक
2) ब्याघ्रराज (330-370ई.)--समुद्रगुप्त से पराजित
हुआ।
4) वृष राज
5) वराह राज-- वास्तविक संस्थापक,
ऐडेंगा( कोंडागॉंव)- मुद्रा प्राप्त
6) भावदत्त वर्मन
7) अर्थपति भट्टारक
8) स्कन्द वर्मन
9) स्तम्भराज
10) नंदराज
11) पृथ्वीराज
12) विरुपाक्ष
13) विलासतुंग (700-740 ई.)
● राजिम में राजीव लोचन मंदिर बनाया।
● विष्णु का उपासक था।
14) पृथ्वी व्याघ्र
15) भीमसेन देव
16) नरेंद्र थबल (935-960 ई)--अंतिम शासक