Thursday 16 February 2017

बस्तर का इतिहास

              छिन्दकनागवंश (1023-1324)

राजधानी-चक्रकोट

संस्थापक--नृपतिभूषण

प्रमुख शासक--

1) नृपतिभूषण--ऐर्राकोट अभिलेख से जानकारी प्राप्त होती है

2) धारावर्ष --बारसूर में तालाब व शिवमंदिर बनवाया ।

4) मधुरांतक देव -- नरबली का प्रमाण मिलता है ।

5) सोमेश्वर देव--जाजल्लयदेव प्रथम से हरा।

6) सोमेश्वर देव दुवितीय-

7) जगदेव भूषण

8) हरीशचंद्र देव--अंतिम शासक

नोट:--1) छिन्दक नागवंशियों ने मामा भांचा मंदिर बनवाये।

2) ये कलचुरियों के समकालीन थे।

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                     काकतीय वंश(1324-1961)

संस्थापक--अन्न्मदेव

राजधानी--मंघोता

              प्रमुख शासक

1) अन्न्मदेव (1324-1369)

       ● दंतेवाड़ा में दंतेश्वरी मंदिर का निर्माण कराया।

       ●  चक्रकोट से राजधानी मंघोता ले आया।

2) हम्मीरदेव (1369-1410)

3) भैरवदेव (1410-1468)

4) पुरुषोत्तम देव (1468-1534)

        ● मंघोता से राजधानी बस्तर लाया।

        ● बस्तर का दशहरा,गोंचा पर्व,बस्तर की रथ
            यात्रा प्रारंभ करवाया।

5) प्रतापराज देव (1602-1625)

        ● बस्तर की सेना से गोलकुंडा के कुलिकुतुब
          शाह पराजित हुआ।      

6) जगदीशराज देव

7) वीरसिंह देव

      ● राजपुर का दुर्ग बनवाया

8) राजपाल देव

9) चंदेल मामा

10) दलपतदेव (1331-1374)

    ● 1770 राजधानी बस्तर से जगदलपुर
       परिवर्तन किया  ।

      ● इसके शासनकाल में रतनपुर भोसलों के अधीन
        आया।

11) अजमेर सिंह(1774-77)

      ● क्रांति का मसिंहा।

12) दरियाव देव (1777-1800)

        ● 1777 के युद्ध में अजमेर सिंह के विरुद्ध
          षडयंत्र कर मराठो की सहायता की

         ● 6 अप्रेल 1778 दरियाव देव ने कोटपाल
         की संधि की ,परिणामस्वरूप बस्तर नागपुर
          रियासत के अंतर्गत रतनपुर के अधीन आ
           गया।

         ● बस्तर छत्तीसगढ़ का अंग बना।
             
         ● 1795 में भोपालपट्टनम संघर्ष हुआ।

13) महिपाल देव(1800-1842)

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